नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को स्पष्ट किया कि वो आलोचनाओं को खुद पर हावी नहीं होने देते हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में आलोचना और आरोप लगना बहुत स्वभाविक है, ऐसे में इसे स्वीकार करके चलता चाहिए। दूसरा हमें इन चीजों में उलझना नहीं चाहिए। लोगों ने हमें जो जिम्मेदारी दी है, हमारा मन उसी में लगा रहना चाहिए। इसीलिए मैंने कई सालों से एक आदत बनाई है कि आलोचनाओं में से सीखने वाली चीजों को ले लेना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना के प्रारंभिक समय में पूरी दुनिया इस बात से चिंतित थी कि भारत में हर दिन कहीं-न-कहीं उत्सव होता है, सभी लोग सामूहिक रहते हैं, ऐसे में दुनियाभर के भीतर सवाल तो था कि भारत में कोरोना बड़ी तेजी से फैल सकता है और यह दुनिया के लिए बड़ी मुसीबत बन जाएगा। ऐसे में हमने जनता को शिक्षित करने का काम किया। उन्होंने कहा कि मैंने अलग-अलग समूहों के साथ बातचीत की। हमने 23 बार मुख्यमंत्रियों की कॉन्फ्रेंसिंग की। एक पूरे देश को हम साथ लेकर चले और उसका परिणाम भी मिला, लोगों ने हमारा साथ दिया।
उन्होंने कहा कि वैक्सीन को लेकर हमने पैसा खर्च करने के लिए निर्णय लिया और वैज्ञानिकों को भी प्रोत्साहित किया तो भारत को अपनी वैक्सीन भी मिल गई। हमने हेल्थवर्कस को भी मोटीवेट करने का काम किया। इंडिया टीवी के साथ इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह तमाम बातें कहीं।
इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जनता का समर्थन भरपूर मिल रहा है, उनकी कोई शिकायत नहीं है, बाकी जो पूर्व निर्धारित अपने एजेंडा पर चलते हैं उनकी तरफ से विरोध स्वभाविक है। अगर मैं भ्रष्टाचार बंद करूंगा तो जिन लोगों को इससे फायदा होता था वो गुस्सा करेंगे। हमें पर जनता-जनार्धन की सेवा करना है। उन्होंने कहा कि मैं मूलतरू संगठन में काम करने वाला व्यक्ति रहा हूं, इसीलिए जनता के बीच में ही रहा हूं। ऐसे में जनता की नब्ज को भलीभांति समझता हूं। देश की जनता का भरोसा भाजपा पर लगातार बढ़ता जा रहा है। इसे मैं उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत पांचों चुनावी राज्यों में देख रहा हूं।