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लखनऊ। यूपी में मुस्लिम वोटों पर नजर रखने वाली पार्टियां उम्मीद कर रही हैं कि उत्तर प्रदेश का मुस्लिम वोटर भी पश्चिम बंगाल की तरह एक ही पार्टी यानी सिर्फ उन्हें ही चुनेगा। उत्तर प्रदेश में बीते दो दशक के दौरान इन पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का वर्चस्व रहा है। मुस्लिम वोटों की चाह में इस बार बसपा सुप्रीमो मायावती पिछले बार के भी अपने रिकॉर्ड को तोड़वे वाली है। इस बार के चुनाव में बसपा ने अभी तक यूपी की 403 सीटों में से 225 पर अपने उम्मीदवार घोषित की हैं। जिसमें 60 सीट मुस्लिम प्रत्याशियों के खाते में गए हैं। यानी की अभी तक की कुल घोषित उम्मीदवारों की संख्या में ये करीब 26 फीसदी है।
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने 403 में से 99 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। इसके साथ ही वो सार्वजनिक सभाओं में मुस्लमानों से बसपा के पक्ष में वोट करने की अपील बार-बार करती नजर आईं थीं। ये और बात है कि 99 मुस्लिम उम्मीदवारों में से केवल 5 को ही जीत मिल पाई थी। ऐसे में इस बार के चुनाव में सभी के दिलों में ये सवाल है कि क्या बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी वाला दांव जीत के साथ उसकी स्थिति को मजबूत कर पाएगा। या फिर कहीं ये अपनी जीत सुनिश्चित करने से अधिक सपा का नुकसान तो नहीं कर देगा।
उत्तर प्रदेश में चुनाव की शुरुआत 10 फरवरी को राज्य के पश्चिमी हिस्से के 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान के साथ होगी। बसपा ने पहले चरण की 58 सीटों में से 16 पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं। दूसरे चरण में 14 फरवरी को राज्य की 55 सीटों पर मतदान होगा। बसपा ने दूसरे चरण की सभी 55 सीटों पर बसपा ने 23 मुस्लिम उतारे हैं। तीसरे चरण में 59 सीटों पर, 23 फरवरी को चैथे चरण में 59 सीटों पर चुनाव होंगे। बसपा ने तीसरे चरण की 59 में से 5 और चैथे चरण में 16 सीटों पर मुस्लिमों को उतारा है।