शादी के 45 साल बाद रापर तालुका की 70 वर्षीय जिवुबेन रबारी के घर में पालना बनाया गया है। उन्होंने टेस्ट ट्यूब के जरिए बच्चे को जन्म दिया है। जिवुबेन और उनके 75 वर्षीय पति वलजीभाई राबारी पिछले चार दशकों से निःसंतान हैं।
नयी दिल्ली। एक औरत के लिए मां बनने की खुशी ही कुछ अलग होती है। मां बनने की कोई आयु सीमा नहीं है। जिन महिलाओं में मां बनने की ताकत नहीं होती उन्हें मेडिकल साइंस की मदद से मातृत्व मिलता है। लेकिन कच्छी की एक महिला ने जो साहस दिखाया है, वह है कबीले तारीफ है। कच्छ के मोरा गांव की जीतूबेन रबारी 70 साल की उम्र में मां बन गई हैं।
शादी के 45 साल बाद रापर तालुका की 70 वर्षीय जिवुबेन रबारी के घर में पालना बनाया गया है। उन्होंने टेस्ट ट्यूब के जरिए बच्चे को जन्म दिया है। जिवुबेन और उनके 75 वर्षीय पति वलजीभाई राबारी पिछले चार दशकों से निःसंतान हैं। शादी के 45 साल बाद रापर तालुका की 70 वर्षीय जिवुबेन रबारी के घर में पालना बनाया गया है। उन्होंने टेस्ट ट्यूब के जरिए बच्चे को जन्म दिया है। जिवुबेन और उनके 75 वर्षीय पति वलजीभाई राबारी पिछले चार दशकों से निःसंतान हैं। उन्होंने जीवन में इस कमी को महसूस किया। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने बच्चे के लिए अपना पूरा इलाज सब्र और संयम के साथ करवाया और शादी के 45 साल बाद उनके घर में बच्चे की किलकारियां गूंजी।
चारों तरफ से बच्चे के लिए निराश हो चुके दंपत्ति ने आखिरकार भुज के एक निजी अस्पताल से संपर्क किया और अपना बच्चे के लिए आईवीएफ इलाज शुरू किया गया। बच्चे के जन्म की खबर सुनकर बुजुर्ग दंपत्ति बहुत खुश हुए उनकी खुशी का ठीकाना नहीं रहा क्योंकि उनकी 45 साल की अधूरी इच्छा आखिर कार भगवान ने पूरी कर दी।
जिवुबेन ने डॉ. नरेश भानुशाली की मदद से भुज के एक निजी अस्पताल में आईवीएफ उपचार शुरू किया। जिसके बाद उनके घर एक पुत्र का जन्म हुआ। सीजेरियन सेक्शन से जिवुबेन ने एक बच्चे को जन्म दिया। फिलहाल जिवुबेन और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। कपल ने अपने प्यारे बेटे का नाम लालो रखा है। तो मालधारी वलजीभाई राबारी ने पिता बनने की खुशी में डॉक्टरों की टीम और भगवान का शुक्रिया अदा किया।