धर्म आस्थाः आज आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में संकट चतुर्थी व्रत है। इस दिन भगवान गणेश का प्रिय दिन बुधवार होने के साथ ही ब्रह्म योग भी बन रहा है। इसी दिन से बुध ग्रह अपना राशि परिवर्तन करते हुए शुक्र की राशि वृषभ में गोचर प्रारंभ कर रहा है। इतने सारे शुभ योग-संयोग के साथ आ रहा संकट चतुर्थी व्रत आपके जीवन में अपार खुशियां, धन-धान्य और सुख-समृद्धि लाने वाला सिद्ध होगा। आषाढ़ मास की संकट चतुर्थी को वर्ष की बड़ी चतुर्थियों में स्थान प्राप्त है। इसलिए यह व्रत करना हर प्रकार से सुख-समृद्धि में वृद्धि करने वाला है। इस दिन व्रत रखकर भगवान श्री गणेश का पूजन किया जाता है और रात में चंद्रोदय होने पर चंद्र दर्शन कर व्रत खोला जाता है।
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र चंद्रोदय का समय रात्रि में 10 बजकर 44 मिनट रहेगा। तो वहीं आज चतुर्थी तिथि रात्रि 9 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। ब्रह्म योग सूर्योदय से लेकर रात्रि 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र रहेगा।
कैसे करें चतुर्थी पूजा प्रात: स्नानादि से निवृत होकर घर के पूजा स्थान को साफ-स्वच्छ करें। चतुर्थी व्रत का संकल्प लें। भगवान गणेशजी को स्नान करवाकर पूजन संपन्न करें। चतुर्थी की कथा सुनें या पढ़ें। गणेशजी को नैवेद्य लगाएं। दूर्वा अवश्य अर्पित करें। दिन भर व्रत रखें। भूखे रहने की क्षमता न हो तो फलाहार ग्रहण कर सकते हैं। सायंकाल पुन: गणेशजी का पूजन करें। सूर्यास्त के बाद जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है। चंद्रोदय होने पर चंद्रमा का दर्शन-पूजन करें। व्रत खोलें। संकट चतुर्थी व्रत क्यों करें यदि आपके जीवन में संकट कम नहीं हो रहे हैं तो आपको संकट चतुर्थी व्रत अवश्य करना चाहिए। यदि आपकी संतानें गलत रास्ते पर चली गई हैं तो उन्हें सही राह पर लौटाने के लिए यह व्रत करें। आर्थिक संकट है, काम चल नहीं रहे, धन हानि हो रही है तो संकट चतुर्थी व्रत करने से लाभ होता है। आपके कोई काम बन नहीं रहे हैं तो यह व्रत करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं।