राहुल गांधी नहीं ममता बनर्जी हैं नरेंद्र मोदी का इकलौता विकल्प: टीएमसी

Prashan Paheli

भले ही 2024 के आम चुनाव में अब भी देरी है लेकिन नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर विपक्षी नेता अपनी-अपनी दावेदारी मजबूत करने लगे हैं। यह भी सच है कि जहां एक ओर विपक्ष एकजुटता का दावा कर रहा है तो दूसरी ओर अपने-अपने दल के नेता को मोदी के विकल्प के तौर पर भी पेश किया जा रहा है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हमने देखा किस तरह से ममता बनर्जी राष्ट्रीय नेता के तौर पर उभर कर सामने आई हैं। वह दिल्ली दौरे के दौरान भी लगातार विपक्ष के नेताओं से मिलीं और यह भी दावा किया कि अब वह दिल्ली लगातार आती रहेंगी। इन सबके बीच अब तृणमूल कांग्रेस की मुख्य पत्र जागो बांग्ला में एक लेख छपा है। यह लेख कहीं ना कहीं विपक्षी एकता की हवा निकाल रहा है।

सबसे खास बात तो यह है कि इस लेख में पार्टी के लोकसभा सांसद सुदीप बंधोपाध्याय समस्त वरिष्ठ नेताओं के भी बयान शामिल है। टीएमसी की ओर से यह तो कहा गया है कि विपक्ष के खेमे में कांग्रेस का होना जरूरी है मगर राहुल गांधी को कई मौके मिले लेकिन वह विकल्प के तौर पर नहीं उभर पाए। साथ ही साथ टीएमसी ने कहा है कि वह ममता बनर्जी को पीएम मोदी का विकल्प बनाकर देश भर में अभियान चलाएगी। टीएमसी की ओर से यह भी कहा गया है कि यह आकलन पार्टी ने अपने अनुभव के आधार पर किया है। माना जा रहा है कि बंदोपाध्याय संसद की स्टैंडिंग समितियों के सदस्य के रूप में कई राज्यों का दौरा किया है जिसमें उन्हें लगता है कि फिलहाल ममता बनर्जी देश को आगे ले जा सकती हैं।

हाल में ही टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी से दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ की थी। प्रवर्तन निदेशालय के पूछताछ के बाद अभिषेक बनर्जी ने दिलचस्प बातें कही थी। अभिषेक बनर्जी ने साफ तौर पर कहा था कि तृणमूल कांग्रेस अब बीजेपी से सीधी लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने कांग्रेस का जिक्र करते हुए कहा था कि बाकियों की तरह ‘उनकी पार्टी अपनी रीढ़ की हड्डी नहीं बेचेगी या घरों में छिपेगी।‘

हाल में ही हमने मानसून सत्र के दौरान देखा कि कैसे राहुल गांधी विपक्ष को साथ लेकर चलने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल गांधी की ओर से बुलाई गई बैठक में पहले तो टीएमसी कांग्रेस शामिल होती रही लेकिन बाद में उसने दूरी बना लिया। शुरू में कुछ बैठक में पार्टी के सांसद पहुंचते रहे। टीएमसी के नेता सौगत राय ने कहा था कि हम विपक्ष एकता में विश्वास रखते हैं मगर क्या यह सही नहीं कि एक साझा पहल कोनों पर आधारित हो। टीएमसी संसद के भीतर और बाहर अपनी पोजीशन साफ करते हैं

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