नई दिल्ली। परियोजनाओं का तय समयसीमा में पूरा नहीं होना अपने आप में गंभीर है। इस बात को लेकर देश के प्रधानमंत्री भी चिंतित हैं और इसके लिए बड़े एक्शन प्लान की रूपरेखा तय की है। 25 अगस्त 2021 को पीएम के निर्देश पर समीक्षा बैठक बुलाई गई। जिसमें पीएम मोदी ने विभिन्न अदालतों और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों की वजह से विलंबित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सूची मांगी है। कैबिनेट सचिव राजीव गौबा संबंधित मंत्रालयों के साथ होने वाले इस व्यापक चर्चाओं का नेतृत्व करेंगे। चार मंत्रालयों को कैबिनेट सचिव की निगरानी में अभ्यास में सहयोग करने करने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही परियोजनाओं में देरी की वजह से हो रहे सरकारी खजाने के नुकासान की सूची बी तैयार करने को कहा गया है।
हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि अभ्यास पूरा होने के बाद सरकार क्या करने की योजना बना रही है। लेकिन एक बात तो साफ है कि पीएम द्वारा शीर्ष-स्तरीय हस्तक्षेप और साथ में कानून मंत्रालय की भागीदारी से इस बात के संकेत मिलते हैं बुनियादी ढांचे को पूरा करने में उत्पन्न होने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायता मिलेगी। न्यूज 18 की रिपोर्ट में बताया गया है कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, रेलवे और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालयों को कानून और न्याय मंत्रालय के परामर्श से भूमि अधिग्रहण, वन या अन्य मंजूरी आदि से संबंधित माननीय न्यायालयों, एनजीटी आदि के निर्णयों की पहचान करनी चाहिए। जिनके कारण बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं में देरी हो रही है।
पीएम की बैठक में आगे इस बात पर भी जोर दिया गया है कि कैबिनेट सचिव को इस तरह की कवायद की निगरानी करनी चाहिए। इस तरह के अदालती फैसलों और आदेशों के कारण विलंबित परियोजनाओं की सूची, जिसमें राजकोष को हुए नुकसान भी शामिल है, कैबिनेट सचिव द्वारा तैयार और संकलित की जा सकती है।