चमोली। अन्तराष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस के अवसर पर सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से पुर्नवासित परिवारों के सदस्यों से संवाद किया। इस अवसर पर आपदा प्रबंधन एवं पुर्नवास मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, सचिव आपदा प्रबंधन एसएस मुरूगेशन तथा वर्चुअल माध्यम से सभी जिलों के जिलाधिकारी भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुर्नवासित परिवारों की बिजली, पानी, सड़क आदि से जुड़ी समस्याओं के निराकरण हेतु राज्य सरकार निरतंर कार्य कर रही है। जिन प्रभावित परिवारों को पहली किस्त दी जा चुकी है जल्द ही उनको दूसरी किस्त भी जारी की जाएगी। आपदा से प्रभावित अगर कोई गांव छूट गया है तो उसको भी शामिल किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों का लगातार सर्वे किया जाए। सर्वे के बाद जिन गांवों एवं परिवारों को तत्काल पुनर्वासित करने की आवश्यकता है, उसकी सूची जल्द उपलब्ध करें। उन्होंने कहा कि पुनर्वासित परिवारों के लिए भारत सरकार की गाईडलाईन के अनुसार धनराशि दी गई है। पुनर्वासित क्षेत्र में अवस्थापना विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। जिन लोगों का कोविड से निधन हुआ उन्हें आपदा मद से 50 हजार रूपये की धनराशि देने की व्यवस्था की जा रही है। कोविड या अन्य बीमारी के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए राज्य सरकार ने वात्सल्य योजना के माध्यम से भरण पोषण एवं शिक्षा की व्यवस्था की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुॅचाने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्व है और इसके लिए निरतंर कार्य किया जा रहा है। चमोली जनपद से फल्दिया, बौंला, सरपाणी गांव के पुर्नवासित परिवारों के सदस्य वीसी से जुड़े थे। उल्लेखनीय है कि चमोली जिले में आपदा प्रभावित 15 गांवों के 279 परिवारों का विस्थापन किया जा चुका है। सरपाणी गांव के 25 और झलियां के 2 परिवारों के विस्थापन हेतु प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
वही दूसरी ओर अन्तराष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस पर पीजी कॉलेज गोपेश्वर के एनसीसी छात्रों ने गोपेश्वर नगर क्षेत्र में रैली निकालकर लोगों को भूंकपरोधी भवन निर्माण, भूस्खलन को रोकने के लिए अधिक से अधिक पौधरोपण करने, नदी नालों से उचित दूरी पर रहते हुए आपदाओं के प्रति सजग रहने के लिए जागरूक किया गया और आम जनमानस से आपदाओं के न्यूनीकरण हेतु आवश्यक उपाय किए जाने का आवाहन भी किया। आपदा जोखिम न्यूनीकरण विषय पर पीजी कॉलेज गोपेश्वर में कार्यशाला भी आयोजित की गई। गौरतलब है कि चमोली जनपद भूंकप की दृष्टि से अंति संवेदनशील जोन-5 में है। इसके अलावा यहॉ पर बरसात में बादल फटने, भूस्खलन, हिमस्खलन तथा वनाग्नि की घटनाओं से हर साल सैकड़ों लोग प्रभावित होते है।