देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने राज्य में ‘ए-हेल्प’ (पशुधन उत्पादन के स्वास्थ्य और विस्तार के लिए मान्यता प्राप्त एजेंट) कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सर्वे ऑफ इंडिया ऑडिटोरियम, देहरादून में एक सभा को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि महिलाओं ने विशेष रूप से उत्तराखंड में पशुधन क्षेत्र का निर्माण करने और उनके समग्र विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के बिना राज्य और केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को लागू करना संभव नहीं है। ‘आशा’ कार्यकर्ताओं/महिलाओं द्वारा पहले से ही आंगनवाड़ियों और स्कूलों में मध्याह्न भोजन और टीकाकरण कार्यक्रम का संचालन सफलतापूर्वक किया जा रहा है। इस संदर्भ में, भारत सरकार द्वारा परिकल्पित ए-हेल्प योजना के अंतर्गत महिलाओं को दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में पशुधन से संबंधित गतिविधियों को मजबूती प्रदान करने के लिए चुना गया है।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षित ए-हेल्प कार्यकर्ता पशुओं में विभिन्न संक्रामक रोगों की रोकथाम करने, राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के अंतर्गत कृत्रिम गर्भाधान, पशुओं की टैगिंग और पशु बीमा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे। उन्होंने आगे कहा कि “यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दृष्टिकोण के अनुसार सामाजिक-आर्थिक उत्थान हेतु महिला शक्ति का समावेशन और भागीदारी सुनिश्चित करने का एक अतुलनीय उदाहरण होगा।
सौरभ बहुगुणा, पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन मंत्री, उत्तराखंड सरकार ने पशुपालन और उससे संबद्ध गतिविधियों में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वैसे तो पशुधन क्षेत्र महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है लेकिन अभी तक इसमें संस्थागत समर्थन की कमी थी। उन्होंने कहा कि इस अंतर को ए-हेल्प कार्यक्रम के शुभारंभ के साथ पूरा किया जाएगा। वर्षा जोशी, अपर सचिव, (सीडीडी), पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार ने ए-हेल्प की अवधारणा के बारे में विस्तार से बताया और बढ़ते पशुधन क्षेत्र के साथ सर्वश्रेष्ठ राज्यों में से एक होने के लिए उत्तराखंड सरकार को बधाई दी। उन्होंने आगे कहा कि समुदाय आधारित कार्यकर्ताओं का यह नया बैंड, जिन्हें पशुधन उत्पादन के स्वास्थ्य और विस्तार के लिए मान्यता प्राप्त एजेंट (ए-हेल्प) के रूप में नामित किया गया है, स्थानीय पशु चिकित्सा संस्थानों और पशुधन मालिकों के बीच रिक्तता को भरने और प्राथमिक सेवाएं प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है।
सुश्री जोशी ने कहा कि आरजीएम के अंतर्गत, पशुधन नस्ल सुधार कार्यक्रम का आयोजन बड़ी संख्या में प्रशिक्षित ए-हेल्प कार्यकर्ताओं की सहायता से किया जाएगा, जो अतिरिक्त प्रशिक्षण प्राप्त कर कृत्रिम गर्भाधान करवाने में दिल्चस्पी रखते हैं। उन्होंने कहा कि ए-हेल्प कार्यकर्ता पशुधन बीमा योजना को लागू करने के साथ-साथ अन्य मध्यवर्तनों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जिसके लिए उन्हें योजना के प्रावधानों के अनुसार पारिश्रमिक प्रदान किया जाएगा, जिससे उन्हें कुछ आमदनी और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने में भी सहायता मिलेगी।
डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम, पशुपालन सचिव, उत्तराखंड सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से दो मंत्रालयों- पशुपालन और ग्रामीण विकास के अभिसरण में किए जा रहे नये पहलों के माध्यम से किसानों और पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं के बीच के अंतर को भरने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम महिला शक्ति की सक्रिय भागीदारी और समावेशन के माध्यम से पशुधन मालिकों के आर्थिक उत्थान को सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि ए-हेल्प पशुधन किसानों और पशु चिकित्सा सेवाओं के बीच जैविक लिंक के रूप में काम करेगा और किसानों की आवश्यकता के समय “संपर्क का पहला स्थल” बनेगा। पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने ग्रामीण विकास विभाग (डीओआरडी), सरकार के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके इस नई पहल की शुरुआत की है। ए-हेल्प कार्यकर्ताओं की प्राथमिक जिम्मेदारी गांव में पशुधन आबादी की स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करना है। इस कार्यक्रम को मध्य प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में प्रगतिशील किसानों और पशु सखियों सहित 500 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।