नई दिल्ली। अगले साल उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने है। जिन पांच राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें से चार राज्य भाजपा शासित है। ऐसे में पार्टी के लिए यहां दोबारा सत्ता में वापसी करना बड़ी चुनौती है। हालांकि इन सबके बीच भाजपा ने अपनी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी है। चुनावी राज्यों में भाजपा के नेता अलग अलग पन्ना प्रमुखों के साथ बैठक करते हैं। भाजपा के लिए चुनावी रणनीति में पन्ना प्रमुख काफी अहम भूमिका निभाते हैं। यह वह लोग होते हैं जो वोटर को बूथ तक लाते हैं और पार्टी के लिए प्रेरित करते हैं। आपको बता दें कि अगले साल उत्तर प्रदेश, मणिपुर, उत्तराखंड, गोवा और पंजाब में विधानसभा के चुनाव होने है।
पन्ना प्रमुख की भूमिका पार्टी द्वारा तय की जाती है। पन्ना का मतलब एक पेज होता है जिस पर वोटर का नाम लिखा होता है। हर पन्ने के लिए भाजपा एक पन्ना प्रमुख बनाते हैं। पन्ना प्रकोष्ठ भाजपा का कार्यकर्ता होता है। एक पन्ने में करीब 30 वोटर के नाम होते हैं। ऐसे में एक पन्ना प्रमुख की भूमिका 30 वोटर को वोट तक ले जाना और उनसे पार्टी के पक्ष में मतदान कराना है। इसके लिए पन्ना प्रमुख लगातार वोटर से संपर्क में रहता है। पन्ना प्रमुख इन 30 वोट से लगातार संपर्क में रहता है और पार्टी द्वारा किए गए कार्यों को बताता है। चुनाव वाले दिन पन्ना प्रमुख यह तय करता है कि कौन वोटर वोट देने गया है या नहीं गया।
पन्ना प्रमुख की भूमिका निभाने वाला पार्टी प्रत्याशी और संगठन से लगातार संपर्क रहता है। इलेक्शन वाले दिन पन्ना प्रमुख ही तमाम 30 वोटर को फोन कर या फिर किसी तरह से संपर्क करता है और उन्हें इस बात का ध्यान दिलाता है कि उन्हें वोट करने जाना है। पन्ना प्रमुख समय के अनुसार से अपने लिस्ट को अपडेट भी करता है। पन्ना प्रमुख के जरिए भाजपा की कोशिश होती है कि वह सभी वोटर तक पहुंच सके। भाजपा के नेता पर लगातार दावा करते हैं कि उनकी रणनीति का सबसे बड़ा हिस्सा बनना प्रमुख होते हैं जिनके जरिए वह वोटर तक पहुंच सकते सकते हैं।