भाजपा के पूर्व अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल ने चाय बागान की सीलिंग जमीन खरीद मामले में एडीएम को सौंपा जवाब

Prashan Paheli
देहरादून: रिंग रोड पर चाय बागान की सीलिंग वाली जमीन खरीद मामले में मिले नोटिस के बाद भाजपा के पूर्व अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल ने शनिवार को एडीएम के कार्यालय को अपना लिखित जवाब सौंपा। इस दौरान मीडिया की मौजूदगी में काफी हलचल मची रही। पार्टी नेता पुनीत मित्तल व वकील भी मौजूद रहे। एडीएम कार्यालय में मौजूद नहीं थे। लिहाजा, पेशकार ने नोटिस रिसीव किया। इस मामले में अगली डेट 11 जुलाई रखी गयी है। गौरतलब है कि बीते 13 जून को एडीएम बरनवाल की कोर्ट ने चुफाल समेत 12 लोगों को नोटिस जारी किया था।
अपने जवाब में पूर्व अध्यक्ष व विधायक बिशन सिंह चुफाल ने कहा कि उस समय बतौर पार्टी अध्यक्ष उनके नाम से रजिस्ट्री की गई थी। लेकिन, अब मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट से ही इस बारे में खतो-किताबत की जाय। जवाब में लिखा है- मैं वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नहीं हूं। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट हैं। जनपद देहरादून के अंतर्गत किसी भी स्थान पर मेरे व परिवारजनों की एक इंच भूमि किसी भी अभिलेख में दर्ज नहीं है। अत: भविष्य में उपरोक्त भूमि संबंधित कोई भी सूचना मुझे न देकर कर वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी महेंद्र भट्ट के नाम से दी जाए।
दरअसल, चाय बागान की सीलिंग वाली जमीन को 2010 में भाजपा ने अपने कार्यालय के लिए खरीदी थी। उस समय निशंक प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। चुफाल पार्टी अध्यक्ष व धन सिंह रावत संगठन महामंत्री थे। इस विवादित भूमि की खरीद में भाजपा नेता अनिल गोयल की भी भूमिका रही। उस समय बड़े धूमधाम से पार्टी नेताओं ने भूमि पूजन भी किया था। करोड़ों रुपए में खरीदी गई इस जमीन का मसला अब खटाई में पड़ गया है। भाजपा समेत कई अन्य खरीदारों को भी नोटिस दिया गया है।
गौरतलब है कि विवादित जमीन खरीद मामले में नोटिस मिलने के बाद शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में चुफाल की मौजूदगी में संगठन नेताओं की बैठक हुई थी। बैठक में वकील के हाथ नोटिस भिजवाने की बात कही गयी। लेकिन, चुफाल ने कहा कि चूंकि नोटिस उनके नाम आया है। लिहाजा, वे स्वयं जवाब देने जाएंगे।
2010 के भूमि खरीद मामले में भाजपा बुरी तरह फंसती दिखाई दे रही है। सीलिंग वाली जमीन को करोड़ों में खरीदने वालों की भूमिका को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। अब, जिला प्रशासन ने जमीन की खरीद-फरोख्त को अवैध करार दिया है।
आईएएनएस
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