देहरादून: युवा पैरा एथलीट होप डेविड को देहरादून में एडमिशन नहीं मिल पा रहा है। इस वजह से परिवार को बैंगलोर शिफ्ट होना पड़ा है। देहरादून के स्कूलों में एडमिशन न मिल पाने की वजह स्कूलों में रैंप और लिफ्ट न होना बताया जा रहा है।
अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर पैरा एथलीट में देश का नाम रोशन करने वाले युवा पैरा एथलीट होप डेविड को देहरादून में एडमिशन नहीं मिल पा रहा है। इस वजह से युवा होनहार के परिवार को बैंगलोर शिफ्ट होना पड़ा है। देहरादून के स्कूलों में एडमिशन न मिल पाने की वजह स्कूलों में रैंप और लिफ्ट न होना बताया जा रहा है।
होप, एक व्हीलचेयर टेनिस खिलाड़ी और व्हीलचेयर रेसर है। जिनके परिजन होप को कक्षा 7 में एडमिशन दिलाना चाहते हैं। एएनआई से बातचीत में होप की मां शिल्पी डेविड ने बताया कि जब होप 4 साल की थी, तब भी देहरादून में उन्हें एडमिशन नहीं मिला। इसके बाद वे गुरुग्राम चले गए। लेकिन इतने सालों बाद भी देहरादून में इसी समस्या से गुजरना पड़ रहा है।
स्कूलों में रैम्प लगाने का अभियान शुरू होप ने दुबई में आयोजित मैराथन में 35 मिनट में 4 किलोमीटर की दौड़ पूरी करके एक रिकॉर्ड बनाया है। अपनी इस समस्या को लेकर परिवार ने उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना से संपर्क किया। जिन्होंने इस पर गंभीरता से काम किया और स्कूलों को बुलाकर और स्कूलों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस बैठक के बाद चीजें बदल जाएंगी और स्कूल विशेष रूप से बच्चों के लिए लिफ्ट और रैंप की सुविधा प्रदान करेंगे। शिल्पी का कहना है कि जिस समस्या से उनकी बेटी गुजर रही है, उससे दूसरे बच्चे न गुजरे इसके लिए वे स्कूलों में रैम्प लगाने का अभियान शुरू किया है।