नई दिल्ली। इस वक्त कोरोना वायरस से जूझ रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कोरोना महामारी का एक और बुरा दौर शुरू हो सकता है। कहा यह भी जा रहा कि इस बार डेल्टा वेरिएंट से भी ज्यादा खतरनाक वायरस आ सकता है। अमेरिका की मिनेसोटा यूनिवर्सिटी ने एक स्टडी किया है। स्टडी के हिसाब से विशेषज्ञ माइकल ओस्टरहोम ने कुछ बातें कहीं। ओस्टरहोम के मुताबिक अगला वेरिएंट स्टेरॉयज वाला हो सकता है जो डेल्टा से भी ज्यादा खतरनाक साबित होगा। इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन के डीजी ने भी कहा था कि डेल्टा जैसे और भी संक्रमण वाले वेरिएंट आ सकते हैं। क्योंकि फिलहाल वायरस लगातार अपने रंग बदल रहा है और इसमें बदलाव आ रहे हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि एक व्यक्ति के भीतर वायरस के दस अरब कॉपी में मौजूद हो सकता है।
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि टिका ना लगवाने वाले लोगों में वायरस और तेजी से बदल रहा है। उनके बॉडी में मौजूद वायरस म्यूटेशन के लैब के रूप में काम कर रहा है। आने वाले समय के लिए खतरनाक होगा। कुछ और विशेषज्ञों का दावा है कि आने वाले दिनों में कोरोना वायरस के मामले बढ़ेंगे और उनमें बदलाव हो सकते हैं जिसकी वजह से संक्रमण की संख्या दोगुनी हो सकती है और जो नया वेरिएंट आएगा वह और भी खतरनाक होगा। आपको बता दें कि दूसरी ओर भारत सरकार ने लोकसभा को बताया कि देश में चार अगस्त तक कोविड के डेल्टा प्लस स्वरूप के 83 मामले सामने आए। स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती पवार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक महाराष्ट्र में 33, मध्य प्रदेश में 11 और तमिलनाडु में 10 मामले दर्ज किए गए हैं। मंत्री ने बताया कि वायरस के ‘जिनोमिकट डेटा’ का विश्लेषण लगातार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्यों को नियमित रूप से इसका परामर्श भेजा जाता है कि वे जिनोमी सिक्वेंसिंग के लिए नमूने भेजें।
वहीं, अमेरिका में हर दिन कोविड-19 के औसतन एक लाख नए मामले सामने आ रहे हैं, जो सर्दियों में चरम पर पहुंचे मामलों से अधिक हैं। यह दिखाता है कि वायरस का डेल्टा स्वरूप कितनी तेजी से देशभर में फैला है। देश में जून के अंत से ही हर दिन औसतन 11,000 मामले सामने आ रहे है। अब यह संख्या 1,07,143 हो गई है। अमेरिका को 1,00,000 औसत मामलों का आंकड़ा पार करने में करीब नौ महीने लगे। जनवरी की शुरुआत तक मामले करीब 2,50,000 पर पहुंच गए थे। 70 प्रतिशत से अधिक वयस्क आबादी के टीकाकरण के बावजूद मामले बढ़े हैं। यह वायरस उन लोगों में तेजी से फैल रहा है जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है। दक्षिणी अमेरिका में फ्लोरिडा, लुसियाना और मिसीसिप्पी में अस्पताल मरीजों से भर गए हैं।