लखनऊ। ये यूपी के चुनाव का ही एक नैरेटिव होता है जो पूरे देश के चुनाव का ट्रेंड सेट करता है। प्रधानमंत्री मोदी जब काशी से नामांकन भरते हैं तो हिदुत्व भारतीय राजनीति का एक ट्रेंड बन जाता है। उसी तरह योगी आदित्यनाथ अयोध्या में दीपावली मनाते हैं तब भी हिन्दू हित सियासत का मुद्दा बन जाता है। अब जबकि खुद यूपी पूरी तरह से चुनावी मोड में है तब यही सबसे बड़ा मुद्दा बनकर नए कलेवर के साथ सामने खड़ा है। इस बार होड़ इस बात की है कि कौन बड़ा हिन्दू है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 में है लेकिन राजनीतिक दलों की तैयारियों काफी पहले से ही जारी है। आज का दिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में काफी गहमा-गहमी वाला दिन रहने वाला है। 2019 के बाद पहली बार आज मायावती ब्राह्मणों को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन के जरिये साधती नजर आएंगी। वहीं एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी आज अयोध्या दौरे पर हैं जहां वो रूदौली में एक जनसभा भी करने वाले हैं। लेकिन इन तमाम कवायदों से इतर समाजवादी पार्टी भी अब हिदुत्व की धार तेज करने की कवायद में लगी है।
वैसे तो अखिलेश यादव पहले ही ये घोषणा कर चुके हैं कि अयोध्या में प्रभु राम का मंदिर बनने के बाद पूरे परिवार के साथ वहां दर्शन करने जाऊंगा। लेकिन अब सपा की ओर से खुद को शिवभक्त दिखाकर की कोशिश भी शुरू हो गई है। सपा समर्थकों की तरफ से शिवसैनिक सम्मेलन आयोजित किया गया है। बलिया के जिला मुख्यालय के टाउन हॉल के सभागार में सोमवार को गोस्वामी समाज के बैनर तले प्रथम शिव सेवक सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें समाजवादी पार्टी युवजन सभा के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद गिरी ने भाजपा सरकार पर गोस्वामी समाज की उपेक्षा और उत्पीड़न का आरोप लगाया। सम्मेलन स्थल पर लगाए गये पोस्टर व होर्डिंग में सबसे ऊपर भगवान शिव की तस्घ्वीर थी और इसके बाद एक तरफ सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव व दूसरी तरफ सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की तस्वीर लगी थी।
प्रदेश के संसदीय कार्य राज्य मंत्री आनन्द स्वरूप शुक्ल ने इस सम्मेलन को लेकर सपा पर हमला बोला और कहा कि सपा हिन्दू समाज को जाति के नाम पर विभाजित करने का प्रयास कर रही है। सपा हिन्दू समाज से जुड़े जाति सम्मेलन कर रही है। उन्होंने सवाल किया है कि सपा मुस्लिम समाज का शिया व सुन्नी समाज का अलग-अलग सम्मेलन क्यों नही करती है।