नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने चारधाम यात्रा में घोड़ों की मौतों और उन पर हो रही क्रूरता के मामले में जवाबदेही तय करने के लिए सचिव पशुपालन व जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग को 10 अगस्त को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में याचिकाकर्ता गौरी मौलिखी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि चारधाम यात्रा पर घोड़ों के संचालन के लिए सरकार की ओर से जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। केदारनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री व हेमकुंड साहब यात्रा के दौरान सैकड़ों घोड़ों के मौत हो चुकी है। बेजुबान पशुओं पर क्रूरता की जा रही है। प्रतिदिन 14 हजार घोडे़ चारधाम यात्रा में संचालित हो रहे हैं। इससे ढाई लाख किलो लीद उत्पन्न हो रही है, जिससे मानव जीवन के साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है।
चारधाम यात्रा पर 3800 घोड़ों की अनुमति के सापेक्ष 14000 संचालित हो रहे हैं। घोड़ों के लिए शेल्टर और गर्म पानी का अभाव है। चारधाम यात्रा पर अभी तक 600 घोडों की मौत हो चुकी है। अदालत ने अंत में सचिव पशुपालन और रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए हैं।
सारः पंजाब केसरी