गोरखपुर (उप्र)। लगभग दो दशक पहले युवाओं के बीच राष्ट्रवाद का संदेश फैलाने के लिए बनाई गई हिंदू युवा वाहिनी पिछले कुछ वर्षों से लगभग निष्क्रिय थी। अब उत्तर प्रदेश के विधासनभा चुनावों में अपने संस्थापक योगी आदित्यनाथ के प्रचार के लिए एक बार फिर सक्रिय हो गई है। योगी को गोरखपुर शहरी सीट से भाजपा उम्मीदवार घोषित करने के बाद हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने स्थानीय भाजपा नेताओं के साथ मिलकर सोशल मीडिया से लेकर बूथ स्तर तक योगी के लिए समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है। 2002 में अस्तित्व में आई हिंदू युवा वाहिनी जल्द ही प्रमुखता ग्रहण कर ली थी। गोरखपुर जिले में खासतौर पर बड़ी संख्या में युवा इससे जुड़े थे। योगी ने भाजपा से मनमुटाव के बाद हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया था। जिले के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में इस संगठन का खासा प्रभाव है।
2002 में गोरखपुर शहरी सीट से अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रत्याशी राधा मोहन दास अग्रवाल की भाजपा के शिव प्रताप शुक्ला के खिलाफ जीत सुनश्चित करने में हिंदू युवा वाहिनी ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी। योगी को 1998 से लगातार पांच बार गोरखपुर लोकसभा सीट से चुनाव जिताने में भी इस संगठन ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। हिंदू युवा वाहिनी खुद को ‘हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को समर्पित एक आक्रामक सांस्कृतिक एवं सामाजिक संगठन’ के रूप में वर्णित करती है। गौरक्षा के अलावा छुआछूत की प्रथा को खत्म करना और समाज के शांतिपूर्ण विकास को बढ़ावा देना इसका मुख्य एजेंडा है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में यह संगठन कई बार विवादों में भी घिरा है। जून 2017 में इसके तीन सदस्यों को दुष्कर्म और बरेली में एक पुलिसकर्मी की पिटाई के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसी साल मई में बुलंदशहर में घर से भागने में एक समुदाय की लड़की की कथित मदद करने वाले दूसरे समुदाय के व्यक्ति की भीड़ हत्या में भी इस संगठन के सदस्यों का नाम सामने आया था। 2018 में ‘लव जिहाद’ के संदेह में इसके सदस्यों ने बागपत कीअदालत में एक जोड़े की कथित तौर पर पिटाई कर दी थी। हालांकि, विशेषज्ञों के मुताबिक 2017 में योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद हिंदू युवा वाहिनी का रुख नरम पड़ गया। उसके बाद से संगठन का ध्यान मुख्यतः सामाजिक कल्याण एवं छुआछूत की प्रथा को खत्म करने पर केंद्रित रहा है।