नई दिल्ली: अपने जमाने के दिग्गज खिलाड़ी और पूर्व ओलंपियन असलम शेर खां ने पिछले कुछ दशकों में ‘भारतीय हॉकी के पतन’ पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए इसके लिए एस्ट्रोटर्फ (कृत्रिम घास के मैदान) और शीर्ष स्तर पर कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया तथा इस खेल में खोई प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए फिर से प्राकृतिक घास के मैदानों में खेलने की अपील की। भारत ने ओलंपिक खेलों में हॉकी में आठ स्वर्ण पदक जीते हैं लेकिन इनमें से आखिरी स्वर्ण पदक उसने 1980 में मास्को ओलंपिक में जीता था। भारतीय टीम ने हालांकि 2021 में टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर पिछले 41 वर्षों से चले आ रहे पदक के सूखे को खत्म किया था। भारत ने इसके बाद इस साल के शुरू में ओडिशा में खेले गए विश्वकप में निराशाजनक प्रदर्शन किया जिसे असलम ने ‘भारत में हॉकी की मौत’ करार दिया।
पूर्व सांसद और विश्व कप 1975 में भारतीय जीत के एक नायक रहे असलम ने देश के हॉकी प्रेमियों को लिखे खुले पत्र में कहा,‘‘बेहद दुख के साथ मुझे भारत में हॉकी की मौत के घोषणा करनी पड़ रही है।’’ उन्होंने कहा,‘‘ ऐसा इस साल जनवरी में ओडिशा के राउरकेला (और भुवनेश्वर) में खेले गए विश्वकप में हुआ जिसमें ओडिशा सरकार के 1000 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद भारत नौवें स्थान पर रहा था।’’ असलम ने कहा,‘‘यह भारत में हॉकी के लिए एक धीमी और दर्दनाक मौत थी, जिसकी शुरुआत मेरे अनुसार 1976 के मॉन्ट्रियल ओलंपिक में एस्ट्रोटर्फ के उपयोग के साथ हुई थी।’’ उन्होंने भारतीय हॉकी के इस पतन का कारण हॉकी इंडिया और राज्य खेल संघों में ‘आपराधिक कुप्रबंधन’ को जिम्मेदार ठहराया।