देहरादून: उत्तराखण्ड कांगे्रस नेत्री गरिमा महरा दसौनी ने भाजपा विधायक महेश नेगी प्रकरण पर सरकार के ऊपर तीखा प्रहार किया है। गरिमा दसौनी ने पुलिस प्रशासन द्वारा महिला के खिलाफ की गई चार्जसीट को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि सारे सबूत, साक्ष्य और गवाह इस बात की पुष्टि कर चुके है कि महेश नेगी द्वारा युवती का शोषण किया गया ऐसे में ना भाजपा संगठन द्वारा और ना ही पुलिस प्रशासन द्वारा महेश नेगी पर कोई भी दण्डनात्मक कार्रवाही ना करना भाजपा के असली चाल चरित्र चेहरे को बेनकाब करता है।
दसौनी ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द्र अग्रवाल एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत को आडे़ हाथों लेते हुए पूरा कि आंखिर भाजपा के इन सभी दिगजों की चुप्पी क्या सिद्व करती है? पीडित महिला के बार-बार डीएनए टेस्ट की मांग को बतौर गृहमंत्री मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत द्वारा अंनदेखा किया जाना, तमाम आरोपां की पुष्टि होने के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल के द्वारा महेश नेगी को विधानसभा सदस्य के रूप में बर्खास्त ना करना तथा प्रदेश में संगठन के मुख्या के रूप में बंशीधर भगत के द्वारा कोई दण्डनात्मक कार्रवाही ना करना हतप्रभ करने वाला है। दसौनी ने आगे कहा कि मात्र 15 घण्टे के अन्दर चार्जसीट को वापस लिये जाने का फैसला ये बताता है कि पुलिस प्रशासन इस प्रकरण पर शुरूआत से ही भारी दबाव में है तथा इस फैसले से सरकार की अच्छी खासी किरकिरी हुई है और उसकी विश्वसनीयता भी संदेह के घेरे में है।
दसौनी ने उत्तराखण्ड की प्रबुद्व जनता से भी आग्रहपूर्ण निवेदन किया है कि क्या महेश नेगी और महामंत्री संगठन संजय कुमार जैसे लोगों का समाज में खुला घूमना समाज के लिए हितकर है? दसौनी ने सत्ताधारी दल के हुकमरानों को ललकारते हुए कहा कि बहु बेटियां हर घर का मान सम्मान और अभिमान होती हैं ऐसे में इस मामले में भाजपा के द्वारा जो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ तथा जीरोटाॅलरेंस के नारे दिये गये थे उनका क्या हुआ? गरिमा दसौनी ने कहा कि इससे पूर्व भी लगभग 1 वर्ष पहले जब भाजपा के संगठन महामंत्री संजय कुमार पर उन्हीं की महिला कार्यकत्री ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे उस प्रकरण में भी भाजपा के द्वारा संजय कुमार को ठीक महेश नेगी जैसा सरक्षण दिया था।