नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकारी भूमि से अवैध धार्मिक निर्माण ध्वस्तीकरण के खिलाफ जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया है। मामले के अनुसार, हरिद्वार निवासी हमज़ा राव व अन्य ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा कि सरकार एक धर्म विशेष के निर्माणों को अवैध नाम देकर ध्वस्त कर रही है। जनहित याचिका में अदालत से प्रार्थना की गई कि धर्म विशेष के खिलाफ की जा रही इस कार्यवाही पर रोक लगाई जाए और ध्वस्त किए गए मजारों का पुनः निर्माण कराया जाए।
सुनवाई के दौरान मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर सिंह रावत ने अदालत को बताया कि इससे पहले भी ऐसी ही एक याचिका एकलपीठ ने खारिज कर दी है। राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हरिद्वार, रुड़की, टिहरी के मोलधार, रामनगर, देहरादून, खटीमा, हल्द्वानी, नैनीताल आदि जगह से पहले ही लगभग 300 अतिक्रमण हटा चुकी है।
सरकार अभी 400 अन्य अवैध मजारों को हटाने की तैयारी कर रही है। मुख्य स्थायी अधिवक्ता के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी भूमि से अवैध धार्मिक निर्माण हटाने के आदेश सभी राज्यों को दिये थे। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि अगर इस आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो उन राज्यों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही होगी।