धर्म: हिंदु धर्म में एकादशी का काफी महत्व माना जाता है। साल में 24 एकादशी तिथि होती है। हर एकादशी का नाम और महत्व अलग- अलग होता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वराह रुप की पूजी की जाती है। वरुथिनी एकादशी का व्रत अन्नदान, कन्यादान दोनों श्रेष्ठ दानों का फल मिलता है। तो आइए जानते हैं वरुथिनी एकादशी कब है और उसका महत्व क्या होता है।
कब है वरुथिनी एकादशी?
इस साल वरुथिनी एकादशी का व्रत 16 अप्रैल रविवार को किया जाएगा। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दोष दूर हो जाते हैं। साथ ही इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वरुथिनी एकादशी का मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ 15 अप्रैल शाम 8 बजकर 46 मिनट
एकादशी तिथि समाप्त 16 अप्रैल शाम 6 बजकर 15 मिनट
पारण का समय 17 अप्रैल सुबह 9 बजकर 30 मिनट तक
वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व
पुराणों में वरुथिनी एकादशी को सौभाग्य प्रदान कराने वाला रहेगा। वरुथिनी एकादशी का व्रत सौभाग्य प्रदान करने वाला है। इस दिन अन्न दान करने से पितृ, देवता, मनुष्य आदि सब की तृप्ति हो जाती है। स्वंय श्री कृष्ण ने इस एकादशी को महाम्त्य अर्जुन को समझाया है। वरुथिनी एकादशी का न्रत करने से व्यक्ति को जस सेना करने, दुख और दुर्भाग्य दूर करने जैसा होता है।
वरुथिनी एकादशी पूजा विधि
वरुथिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण करके अपने घर के मंदिर में घी का दीपक जलाएं। साथ ही भगवान विष्णु की प्रतिमा का अभिषेक भी करें। इसके बाद भगवान विष्णु को वस्त्र आदि अर्पित करें और भगवान विष्णु की पूरे विधि विधान के साथ पूजा और आरती करें। पूजा करते समय ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करें। साथ ही भगवान विष्णु को भोग जरुर लगाएं।