रेलवे अतिक्रमण मामले में हजारों लोगों की किस्मत पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई

Prashan Paheli

हल्द्वानी : उत्तराखंड के हल्द्वानी में हजारों लोगों की किस्मत पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। ये कोई आम सुनवाई नहीं होने वाली है, इस सुनवाई के साथ हजारों लोगों की उम्मीदें जुड़ी हैं, कई लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी है. ये एक सुनवाई तय कर जाएगी कि हल्द्वानी में हजारों लोगों का आशियाना बचने वाला या फिर उस पर बुलडोजर चल जाएगा। अब बुलडोजर चलने का खतरा क्यों है, आखिर भारत के एक राज्य में हजारों लोगों का आशियाना खतरे में कैसे आ गया है? हर सवाल का जवाब उस विवाद में छिपा है जिसमें सरकार की लापरवाही है, कोर्ट का एक आदेश है और दस्तक देने के लिए बुलडोजर खड़ा है।

हल्द्वानी के बनभूलपुरा के 2.2 किमी इलाके में फैले गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर के रहने वालों को हल्द्वानी में रेलवे नोटिस जारी कर चुका है कि 82.900 किमी से 80.170 रेलवे किमी के बीच अवैध अतिक्रमणकारी हट जाएं। वर्ना अतिक्रमण हटाया जाएगा और कीमत उसकी अतिक्रमणकारियों से ही वसूली जाएगी। रेलवे के मुताबिक 2013 में सबसे पहले गौला नदी में अवैध रेत खनन को लेकर मामला कोर्ट में पहुंचा था। रेलवे के मुताबिक 10 साल पहले उस केस में पाया गया कि रेलवे के किनारे रहने वाले लोग ही अवैध रेत खनन में शामिल हैं। हाई कोर्ट ने रेलवे को पार्टी बनाकर इलाका खाली कराने के लिए कहा। तब स्थानीय निवासियों ने विरोध में सुप्रीम कोर्ट जाकर याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निवासियों की भी दलीलें सुनने का निर्देश दिया। रेलवे दावा करती है कि सभी पक्षों की फिर दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने अतिक्रमणकारियों को हटाने का निर्देश दिया।

रेलवे दावा करता है कि उसके पास पुराने नक्शे हैं। 1959 का नोटिफिकेशन है। 1971 का रेवेन्यू रिक़ॉर्ड है। 2017 की सर्वे रिपोर्ट है. लेकिन अपने हाथ में तमाम दस्तावेज, पुराने कागज और दलीलों के साथ लोग सवाल उठाते हैं। सवाल तो इस विवाद से भी उठ रहा है. 4400 परिवारों और 50 हजार लोग अतिक्रमणकारी हैं या फिर अपना घर बचाने के लिए ये लाचारी के मोड़ पर खड़े हैं। फैसला आज सुप्रीम कोर्ट को करना है। लेकिन इस फैसले के आने से पहले ही कई लोगों पर इसका असर दिखने लगा है। उसी फैसले के इंतजार में जिनके घर 20 जनवरी को शादी है उन्होंने बुलडोजर के साए की वजह से एक भी कार्ड शादी का अब तक नहीं बांटा है। अब्दुल मतीन सिद्दीकी कहते हैं कि तलवार लटक रही है, अगर एक भी घर यहां टूटा तो हम अपनी खुशी मना नहीं पाएंगे. इसीलिए होल्ड पर ऱखा है।

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