महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक समारोह में केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे समेत कुछ नेताओं को ‘पूर्व और संभावित भावी सहयोगी’ कहकर संबोधित किया जिससे बदलाव की अटकलों को बल मिल गया है।
मंुबई। महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना और कांग्रेस की मिली जुली सरकार है जिसका नेतृत्व उद्धव ठाकरे कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना और भाजपा लगातार गठबंधन में रही है लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद दोनों दलों में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर तकरार बढ़ी और गठबंधन टूट गया। इसके बाद शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली। महाराष्ट्र में भले ही उद्धव ठाकरे सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि वहां सब कुछ शरद पवार के इशारों पर होता है। शरद पवार को राजनीति का माहिर खिलाड़ी माना जाता है। विश्लेषक यह भी कहते हैं कि महाराष्ट्र में तीनों दल मिलकर सरकार चला रहे हैं तो इसमें शरद पवार का ही सबसे बड़ा हाथ है। वह शरद पवार ही हैं जो तीनों दलों को एक साथ रख कर आगे बढ़ रहे हैं। पवार को एमवीए सरकार का वास्तुकार और धुरी माना जाता है।
दूसरी ओर उद्धव ठाकरे और शिवसेना के कई और नेता लगातार इस बात के संकेत तो दे ही रहे हैं कि सरकार में वह सहज नहीं हैं। हालांकि शिवसेना की ओर से इस पर आधिकारिक रूप से अब तक कुछ नहीं कहा गया। इन सब के बीच शिवसेना नेता और पूर्व में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके अनंत गीते ने शरद पवार को लेकर बड़ा बयान दिया है। शिवसेना नेता अनंत गीते ने साफ तौर पर कहा कि अपनी पार्टी बनाने के लिए कांग्रेस की पीठ में छुरा भोंकने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार शिवसैनिकों के लिए गुरु कभी भी नहीं हो सकते। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन वाली सरकार सिर्फ एक समझौता है। अपने गृह क्षेत्र रायगढ़ में सोमवार को एक जनसभा में गीते ने कहा, ‘‘शरद पवार कभी हमारे नेता नहीं हो सकते क्योंकि यह सरकार (एमवीए) केवल एक समझौता है। लोग पवार के लिए जितनी वाहवाही करें, लेकिन हमारे ‘गुरु’ केवल (दिवंगत) बालासाहेब ठाकरे हैं।’’ रायगढ़ के पूर्व सांसद गीते ने कहा कि शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार के प्रति उनकी कोई ‘बुरी मंशा’ नहीं है और वह चाहते हैं कि सरकार चले। शिवसेना नेता ने कहा, ‘‘पवार ने कांग्रेस की पीठ में छुरा घोंपकर अपनी पार्टी बनाई थी। यदि कांग्रेस और राकांपा एक नहीं हो सकते हैं तो शिवसेना भी पूरी तरह से कांग्रेस की नीति पर नहीं चल सकती। कांग्रेस और राकांपा के रिश्ते हमेशा से सौहार्दपूर्ण नहीं थे।’’
राकांपा का गठन 25 मई, 1999 को शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने किया था, जब उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) से, इटली में जन्मी सोनिया गांधी के पार्टी के नेतृत्व करने के अधिकार पर विवाद के कारण निष्कासित कर दिया गया था। राकांपा बाद में केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकारों का हिस्सा बनी, जिसमें पवार ने कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया। महाराष्ट्र में भी कांग्रेस और राकांपा ने 2014 तक सत्ता साझा की। गीते ने 2014 के चुनावों के बाद केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री के रूप में कार्य किया था जब शिवसेना राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा थी। गीते 2019 के लोकसभा चुनावों में अपने राकांपा प्रतिद्वंद्वी सुनील तटकरे से मामूली अंतर से हार गए। तटकरे की बेटी अदिति वर्तमान में एमवीए सरकार में राज्य मंत्री हैं।