दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाएं हैं। उन्होंने वर्ष 2016 में मोदी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी को गंभीर रूप से गलत निर्णय बताया है। आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपने आप मुद्रा नोटों से संबंधित कोई प्रस्ताव शुरू नहीं कर सकती है। यह केवल केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर हो सकता है। इस निर्णय लेने की प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाना चाहिए। बताते चलें कि इस मामले में सुनवाई अगले हफ्ते भी जारी रहेगी।
सुनवाई के दौरान, केंद्र के 2016 के फैसले का विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं में से एक चिदंबरम ने न्यायमूर्ति एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ से कहा कि बैंक नोटों के मुद्दे को विनियमित करने का अधिकार पूरी तरह से भारतीय रिजर्व बैंक के पास है। केंद्र सरकार अपने आप कानूनी निविदा से संबंधित कोई भी प्रस्ताव शुरू नहीं कर सकती है। कहा कि आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर ही यह किया जा सकता है। इस दौरान वरिष्ठ वकील चिदंबरम ने अन्य भी कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के संभावित भयानक परिणामों” का आकलन, शोध या दस्तावेजीकरण नहीं किया गया था।