आईटीबीपी के प्रवक्ता के मुताबिक पुलिस पदक से सम्मानित होने वाले 20 में से आठ जवानों को पिछले साल 15 जून को गलवान नाला में मातृभूमि की रक्षा के लिए उनके वीरतापूर्ण कार्य, सावधानीपूर्वक योजना और सामरिक अंतर्दृष्टि का प्रदर्शन करने के लिए पुलिस वीरता पदक (पीएमजी) से सम्मानित किया गया है।
ग्रेटर नोएडा। पिछले साल मई-जून में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ हुई हिंसक झड़प और दोनों देशों के बीच जारी सैन्य गतिरोध के दौरान असाधारण वीरता तथा अदम्य साहस का परिचय देने वाले भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 20 जवानों को पुलिस वीरता पदकों से अलंकृत (सम्मानित) किया गया है। केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने रविवार को आईटीबीपी के 60वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर इन जवानों के सीने पर पदक लगाकर और उन्हें प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। इन पुलिस पदकों की घोषणा इस साल 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर की गई थी। केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बल आईटीबीपी के जवान 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की सुरक्षा के अपने प्राथमिक उद्देश्य के तहत सेना के जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर तैनात हैं।
आईटीबीपी के प्रवक्ता के मुताबिक पुलिस पदक से सम्मानित होने वाले 20 में से आठ जवानों को पिछले साल 15 जून को गलवान नाला में मातृभूमि की रक्षा के लिए उनके वीरतापूर्ण कार्य, सावधानीपूर्वक योजना और सामरिक अंतर्दृष्टि का प्रदर्शन करने के लिए पुलिस वीरता पदक (पीएमजी) से सम्मानित किया गया है। पूर्वी लद्दाख के फिंगर चार क्षेत्र में 18 मई 2020 को चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के दौरान वीरतापूर्ण कार्रवाई के लिए आईटीबीपी के छह जवानों को पीएमजी से सम्मानित किया गया है, जबकि बाकी छह जवानों को उसी दिन लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स के पास असाधारण वीरता का प्रदर्शन करने के लिए वीरता पदक से सम्मानित किया गया है। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में सेना के 20 जवान शहीद हुए थे। चीन के मुताबिक इस झड़प में उसके पांच जवान मारे गए थे जबकि वास्तविक संख्या इससे काफी अधिक होने की संभावना है। भारतीय सीमा क्षेत्र में चीन के बढ़ते हुए अतिक्रमण को रोकने के लिए 1962 में आईटीबीपी की स्थापना की गयी थी। आईटीबीपी में करीब 90 हजार जवान हैं।