नयी दिल्ली। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार ने पार्टी को अलविदा कह दिया, जिसको लेकर जी-23 के कई नेताओं ने दुख जताया और आत्मनिरीक्षण की बात कही। जी-23 के नेताओं का मानना है कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। हालांकि, अश्विनी कुमार के इस्तीफे पर कांग्रेस ने बहुत साधारण सी प्रतिक्रिया दी और उन पर कांग्रेस की विचारधारा के प्रति समर्पण का अभाव बताया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जी-23 का हिस्सा गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पार्टी से लगातार नेताओं का बाहर निकलना गंभीर चिंता का विषय है। आजाद ने कहा कि यह बहुत चिंता की बात है कि नेता के बाद नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। मुझे लगता है, कुमार चौथे या फिर पांचवें पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं, जिन्होंने देशभर में विभिन्न स्तरों पर बड़ी संख्या में नेताओं और कार्यकर्ताओं के अलावा पार्टी छोड़ी है।
आजाद ने कहा कि इससे बाहर निकलने के लिए कांग्रेस को बहुत आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है। यह कहना ठीक नहीं है कि ये नेता किसी व्यक्ति या (किसी) पार्टी के इशारे पर जा रहे हैं। नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगर विधानसभा चुनाव के नतीजे पार्टी के पक्ष में नहीं आते हैं तो 10 मार्च के बाद पार्टी का पतन होता है तो उस पर उन्हें कोई आश्चर्य नहीं होगा।
राज्यसभा में पार्टी के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा कि यह सामूहिक चिंता का विषय है। उन्होंने ट्वीट में कहा कि हमारे मूल्यवान साथी अश्विनी कुमार का कांग्रेस छोड़ना देखकर दुख होता है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि पार्टी की चार दशक सेवा करने वाला कोई व्यक्ति छोड़ गया। यह सामूहिक चिंता का विषय है।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट में अश्विनी कुमार के इस्तीफे को दुखद बताया और कहा कि हमारे बीच मत भिन्नता थी, लेकिन यह बहुत ही सभ्य तरीके से थी। दुर्भाग्यपूर्ण है कि अश्विनी कुमार को यह फैसला करने के लिए विवश होना पड़ा। हालांकि बाद में मनीष तिवारी ने संवाददाताओं के साथ बातचीत में अगर कोई भी व्यक्ति कांग्रेस छोड़कर जाता है तो उससे पार्टी को नुकसान होता है। अश्विनी कुमार का पार्टी छोड़ने का फैसला बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है… राज्यसभा सीट की महत्वाकांक्षा लोगों को बहुत कुछ करने के लिए मजबूर करती है।